शख्स पहली पत्नी का ठीक से खयाल नहीं रख सकता तो दूसरी शादी नहीं- कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि इस्लामिक कानून एक पत्नी के रहते मुस्लिम व्यक्ति को दूसरी शादी करने का अधिकार देता है, लेकिन उसे पहली पत्नी की मर्जी के खिलाफ कोर्ट से साथ रहने के लिए बाध्य करने का आदेश पाने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा पत्नी की सहमति के बगैर दूसरी शादी करना पहली पत्नी के साथ क्रूरता है.

मामले में फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि कोई मुस्लिम व्यक्ति अगर अपनी पहली पत्नी और बच्चों का ठीक से खयाल नहीं रख पाता है तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस राजेंद्र कुमार की बेंच ने परिवार न्यायालय अधिनियम के तहत दायर एक अपील पर आदेश देते हुए ये बात कही.

रांची के लोगो के लिए खुशखबरी 2023 में JSCA स्टेडियम को T20 मैच की मेजबानी मौका

हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई मुसलमान अपनी पत्नी और बच्चों की ठीक से परवरिश करने में सक्षम नहीं है तो क़ुरान के अनुसार वह दूसरी महिला से शादी नहीं कर सकता.

कोर्ट ने अपने फ़ैसले में ये भी कहा कि एक मुस्लिम व्यक्ति जिसने अपनी पहली पत्नी की इच्छा के विरुद्ध दूसरी बार शादी की है, वह पहली पत्नी को उसके साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है और इसके लिए सिविल कोर्ट से राहत की मांग नहीं कर सकता.

बेंच ने कहा कि कुरान की सूरा 4 आयत 3 का धार्मिक आदेश मुस्लिम पुरुषों पर लागू होता है. ये कहता है कि एक मुस्लिम पुरुष अपनी पसंद की चार महिलाओं से शादी कर सकता है, लेकिन अगर उसे डर है कि वह उनके साथ न्याय नहीं कर पाएगा, तो वह केवल एक से ही शादी कर सकता है.

झारखंड की यूनिवर्सिटी में एग्जाम देंगी ऐश्वर्या राय बच्चन ? जारी हुआ एडमिट कार्ड

Share Now

Leave a Reply