
कांग्रेस में नही शामिल होंगे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर।
रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया कि प्रशांत किशोर ने स्वयं कांग्रेस में शामिल होने से इनकार कर दिया है. मालूम हो कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने और उनके 2024 के लिए मिशन के प्रस्तावित विजन को आगे बढ़ाने पर विचार करने के लिए समिति का गठन किया था.
इस 13 सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप दी थी. कांग्रेस नेताओं की सोमवार को इस बाबत बैठक भी हुई थी. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत कई नेता प्रशांत किशोर को कांग्रेस में लाए जाने के पक्ष में थे, लेकिन दिग्विजय सिंह समेत तमाम नेताओं ने इसको लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की थीं.
राजस्थान सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा था कि संगठन को मजबूत और ताकतवर केवल नेतृत्व और कार्यकर्ता ही बना सकते हैं। कोई सलाहकार और सेवा प्रदाता नहीं। कांग्रेस नेतृत्व को चाणक्य की जरूरत है न कि व्यापारी की
Following a presentation & discussions with Sh. Prashant Kishor, Congress President has constituted a Empowered Action Group 2024 & invited him to join the party as part of the group with defined responsibility. He declined. We appreciate his efforts & suggestion given to party.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 26, 2022
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल न होने को लेकर प्रतिक्रिया दी है. पहले कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इसकी जानकारी दी कि प्रशांत किशोर ने पार्टी में शामिल होने से इनकार कर दिया है. अब प्रशांत किशोर ने ट्वीट करके बताया है कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से क्यों इनकार किया.
I declined the generous offer of #congress to join the party as part of the EAG & take responsibility for the elections.
In my humble opinion, more than me the party needs leadership and collective will to fix the deep rooted structural problems through transformational reforms.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 26, 2022
उन्होंने लिखा है- मैंने ईएजी (एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप) के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की ज़िम्मेदारी लेने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. मेरी विनम्र राय ये है कि मुझसे ज़्यादा पार्टी को नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत है ताकि परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से संरचनात्मक समस्याओं को ठीक किया जा सके, जिसकी जड़ें काफ़ी गहरी हैं.
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