मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर चल रही अनिश्चितता के बीच शुक्रवार को चुनाव आयोग ने उनके भाई, दुमका के विधायक बसंत सोरेन के खिलाफ चल रहे मामले में भी राज्यपाल को मंतव्य प्रेषित कर दिया है। हालांकि राजभवन ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
आयोग के सूत्रों के मुताबिक बसंत सोरेन के खिलाफ आरोपों को लेकर मंतव्य भेजते हुए फैसला राज्यपाल पर छोड़ा गया है।
भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी राय बंद लिफाफे में राजभवन को भेज दी है। जिस पर गवर्नर को निर्णय लेना है। बसंत सोरेन के मामले में 29 अगस्त को आयोग में सुनवाई हुई थी। इस दौरान बसंत के अधिवक्ता ने आयोग से कहा कि उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने से जुड़े इस मामले में सुनवाई उचित नहीं है।
वहीं सीएम सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले को लेकर भी अभी संशय बरकरार है। इस सम्बन्ध में इलेक्शन कमीशन ने अपना मंतव्य राजभवन भेज दिया है। उसपर गवर्नर को फैसला सुनाना है।
भाजपा के अधिवक्ता ने इसपर दलील दी कि बसंत सोरेन जिस माइनिंग कंपनी से जुड़े हैं, वह राज्य में खनन करती है। बसंत सोरेन का इससे जुड़ाव अधिकारियों को प्रभावित करता है। यह कंफ्लिक्ट आफ इंट्रेस्ट का मामला है। ऐसे में उनकी विधानसभा की सदस्यता रद की जाए। राजभवन ने भाजपा की शिकायत पर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था।
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