Desk: वीर अब्दुल हमीद भारतीय सेना के वो शेर हैं, जिन्होंने अपने वीरता और साहस का परिचय देते हुए 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी के कई पेटन टैंकों को ध्वस्त कर दिया था।
आपको बता दें कि जो टैंक जिसे वीर अब्दुल हमीद ने ध्वस्त कर दिया था, वो पाकिस्तानी सेना के लिए काफी अहम थे और अमेरिका से खरीदे गए थे। वीर अब्दुल हमीद को 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई में खेमकरन सेक्टर में टैंक नष्ट करने के लिए परमवीर चक्र से भी नवाजा गया।
अब्दुल हमीद पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहुत ही साधारण परिवार से आते थे लेकिन उन्होंने अपनी वीरता की असाधारण मिसाल कायम करते हुए देश को गौरवान्वित किया था। कहा जाता है कि जब 1965 के युद्ध शुरू होने के आसार बन रहे थे तो वो अपने घर गए थे, लेकिन उन्हें छुट्टी के बीच से वापस ड्यूटी पर आने का आदेश मिला. उस दौरान उनकी पत्नी ने उन्हें खूब रोका, लेकिन वे रुके नहीं। रोकने की कोशिश के बाद हमीद ने मुस्कराते हुए कहा था- देश के लिए उन्हें जाना ही होगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 1965, सुबह 9 बजे वे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों के बीच बैठे थे। उस दौरान उन्हें दूर आते टैंकों की आवाज सुनाई दी। थोड़ी देर में उन्हें वो टैंक दिखाई भी देने लगे। उन्होंने टैंकों के अपनी रिकॉयलेस गन की रेंज में आने का इंतजार किया, गन्ने की फसल का कवर लिया और जैसे ही टैंक उनकी आरसीएल की रेंज में आए, फायर कर दिया। उसी दौरान उन्होंने 4 टैंक उड़ा दिए थे। उसके बाद भी उन्होंने कई टैंक उड़ाए थे।हालांकि जब वो एक और टैंक को अपना निशाना बना रहे थे, तभी एक पाकिस्तानी टैंक की नजर में आ गए। दोनों ने एक-दूसरे पर एक साथ फायर किया। वो टैंक भी नष्ट हुआ और अब्दुल हमीद की जीप के भी परखच्चे उड़ गए।
इसी जंग में क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को साहस का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त हुई थी। इसके लिए उन्हें शहीद होने के बाद भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र प्रदान किया गया। आज भी देश के लोग वीर अब्दुल हमीद के वीरता को याद करते है, और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते है।