रांची। NSUI के प्रदेश सचिव रोहित पांडेय ने झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे कर राज्य की राजधानी राँची में अवस्थित योगदा सत्संग महाविद्यालय में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने की मांग की है। आरोप है कि यह महाविद्यालय विगत कुछ समय से उच्च शिक्षा के नाम पर विद्यार्थियों के बीच योगदा पंथ का आक्रामक धार्मिक प्रचार प्रसार कर रहा है। ऑनलाइन क्लास के नाम पर बने विद्यार्थियों के व्हाट्सअप ग्रुप में योगदा पंथ की धार्मिक प्रचार सामग्री महाविद्यालय के अतिरिक्त सचिव सह प्रभारी प्राचार्य और उप प्राचार्य के निर्देश पर महाविद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा डाली जा रही है। विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों में महाविद्यालय के इस कृत्य से काफी रोष है परंतु बच्चों की पढ़ाई बाधित होने के भय से वो खुल कर सामने नहीं आ पा रहें है। महाविद्यालय के कार्यक्रमो में विद्यार्थियों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है और सांसारिकता छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।
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महाविद्यालय ने कोरोना जैसे आपदा काल में भी फीस वृद्धि की और फीस चुका पाने में असमर्थ विद्यार्थियों को प्रति माह 300 की दर से विलंब शुल्क देने पर विवश किया। इस आपदा के समय भी जो विद्यार्थी शुल्क चुका पाने में असमर्थ रहें उनका परीक्षाफल महाविद्यालय द्वारा रोक लिया जा रहा है।
योगदा महाविद्यालय में विद्यार्थियों से पुस्तकालय और खेल मद में शुल्क लिया जाता रहा है जिसका उपयोग महाविद्यालय अन्य कार्यों में करता है। महाविद्यालय में सरकार और यू जी सी द्वारा निर्धारित अहर्ताओं की अनदेखी कर 65 वर्ष से ऊपर की आयु वाले अतिरिक्त सचिव को प्राचार्य के पद का कार्यभार सौंपा गया और अयोग्य व्यक्तियों को अनुबंध पर शिक्षक और शिक्षकेत्तर पदों पर नियुक्त किया गया है। इससे महाविद्यालय में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। एन एस यू आई ने माननीय मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कराने और अयोग्य प्रभारी प्राचार्य और कर्मचारियों को सेवा से हटाने का आदेश निर्गत करने का अनुरोध किया है। मौके पर एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रतिनिधि विवेक सिंह मौजूद थे|
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