मैरिटल रेप अपराध या नहीं? हाई कोर्ट जज एकराय नहीं, अब सुप्रीम कोर्ट में चलेगा केस।
मैरिटल रेप अपराध है या नहीं इसको लेकर आज दिल्ली हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के जज इस मामले पर एकमत नहीं थे. इसकी वजह से अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है । मैरिटल रेप को अपराध बनाने के मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले में बँटा हुआ फ़ैसला दिया है.
इस मामले की सुनवाई कर रही खंडपीठ के दोनों जजों की राय एक दूसरे से अलग रही. ऐसे में अब इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की फुल बेंच में की जाएगी.
इस मामले में अपना फ़ैसला सुनाते हुए जस्टिस राजीव शकधर ने मौजूदा प्रावधान के विरोध में राय रखी. वहीं दूसरे जज जस्टिस सी हरिशंकर अपने साथी जज की राय से सहमत नहीं थे.
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जस्टिस शकधर ने कहा- अभी तक का जो प्रावधान रहा है कि बिना अपनी पत्नी की सहमति के उनके साथ जबरदस्ती संबंध बनाना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. इसलिए उसे ख़त्म कर देना चाहिए.
वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने कहा कि वो इस मामले में जस्टिस शकधर के फ़ैसले से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि आईपीसी की धारा 375 का अपवाद 2 संविधान का उल्लंघन नहीं करता.
मैरिटल रेप को लेकर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फैसला सुनाते समय हाईकोर्ट के दोनों जजों ने इस पर अलग-अलग राय जाहिर की। हाईकोर्ट के जस्टिस शकधर ने कहा IPC की धारा 375, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
मैरिटल रेप, यानी पत्नी की सहमति के बिना उससे संबंध बनाने के मामले में 21 फरवरी को कोर्ट ने NGO आरआईटी फाउंडेशन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन और दो व्यक्तियों द्वारा 2015 में दायर की गई जनहित याचिकाओं पर मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।
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