
चीफ़ जस्टिस रमन्ना पीएम मोदी और मुख्यमंत्रियों के सामने बोले- सभी अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ का रखें ख़याल.
भारत के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा है कि कई बार कोर्ट के फ़ैसले सरकार सालों साल तक लागू नहीं करती. जानबूझ कर कोर्ट के ऑर्डर पर कार्रवाई ना करना देश के लिए ठीक नहीं है. कई बार कानून विभाग की सुझाव और राय को एक्जीक्यूटिव नज़रअंदाज़ करके फ़ैसले ले लेते हैं.
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री किरेन रिजीजू, राज्यों के मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट के जस्टिस, ट्रिब्यूनल के प्रमुख और तमाम न्यायिक अधिकारी शामिल हुए.
मंच से अपनी बात रखते हुए जस्टिस रमन्ना ने कहा, “संविधान में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारियों को विस्तार से बांटा गया है. हमें अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ का ख्याल रखना चाहिए. अगर गवर्नेंस का कामकाज कानून के मुताबिक़ हो तो न्यायपालिका कभी उसके रास्ते में नहीं आएगी. अगर नगरपालिका, ग्राम पंचायत अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन करें, पुलिस उचित तरीके से केस की जांच करे और ग़ैर-क़ानूनी कस्टोडियल प्रताड़ना या मौतें ना हों तो लोगों को कोर्ट आने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.”
Well-meaning intentions behind Public Interest Litigation (PIL) are misused as it's turned into 'Personal Interest Litigation' to stall projects & terrorise public authorities. It has become a tool to settle scores with political & corporate rivals: CJI NV Ramana pic.twitter.com/IShcDU6bEy
— ANI (@ANI) April 30, 2022
“भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है. ई-कोर्ट परियोजना आज मिशन की तरह लागू की जा रही है.
पीएम मोदी ने कहा कि हमें अदालतों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए. इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा.
इसे पढ़ें-पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर पीएम मोदी ने राज्यों के सीएम से वैट घटाने की कही बात…
इससे पहले CJI एनवी रमना ने कहा- न्याय का मंदिर होने के नाते अदालत को लोगों का स्वागत करना चाहिए, कोर्ट की अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए। पब्लिक इंटरेस्ट याचिका अब पर्सनल इंटरेस्ट के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। यह अफसरों को धमकाने का जरिया बन गई हैं। PIL राजनीतिक और कॉर्पोरेट विरोधियों के खिलाफ एक टूल बन गया है।
We must be mindful of 'Laxman Rekha', judiciary will never come in way of governance if it's as per law. If municipalities, gram panchayats perform duties, if police investigate properly &illegal custodial torture comes to end, people need not have to look to courts:CJI NV Ramana pic.twitter.com/amgosbcX5i
— ANI (@ANI) April 30, 2022
चीफ़ जस्टिस के व्याख्यान के बाद मंच से पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि 2015 में केंद्र सरकार ने लगभग 1800 क़ानूनों की पहचान की जो अप्रासंगिक हो गए थे. इनमें से केंद्र ने 1450 क़ानूनों को खत्म कर दिया लेकिन राज्यों ने अब तक केवल 75 क़ानूनों को ख़त्म किया है.
समारोह में शामिल मुख्यमंत्रियों, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों और न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “हम न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. हम न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार और बेहतरी के लिए भी काम कर रहे हैं.”
इसे पढ़े-जैकलीन फर्नांडिस पर ED की बड़ी करवाई ,सात करोड़ की संपत्ति जब्त
फ़िल्म KGF2 के आंधी में उड़ी कई फिल्में,दंगल और बाहुबली को पीछे करने की होड़,टूटेंगे कई रिकॉर्ड