13 दिसंबर 2001 की सुबह भला कौन भूल सकता है की जब लोकतंत्र का मंदिर गोलियों की आवाज से दहल उठा था। आम दिन की तरह उस दिन भी संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक स्थगित रही। इसके बाद नेता विपक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी घर की तरफ जा चुके थे। तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित करीब 200 से अधिक सांसद, पार्लियामेंट के अंदर ही मौजूद थे।
आतंकी किसी भी कीमत पर संसद में घुसकर नेताओं को मारना चाहते थे, लेकिन किसी सुरक्षाकर्मी ने संसद का आपातकालीन अलार्म बजा दिया और सभी गेट बंद कर दिए। इसके बाद भी सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और एक एक करके सभी आतंकियों को मार गिराय गया। करीब 45 मिनट तक चली गोलीबारी में सभी आतंकवादी ढेर हो गए, लेकिन ढेर होने से पहले आतंकियों ने संसद में घुसने की हरसंभव कोशिश की और संसद के अंदर हथगोले फेंके, आत्मघाती विस्फोट किया पर सुरक्षाकर्मियों के आगे उनकी एक ना चली।