‘दिल अफज़ा’ के आगे भारी पड़ा ‘रूह अफज़ा’,दोनों शर्बतों का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट आया ये फैसला..

देश के सबसे पुराने लेकिन प्रचलित पेय पदार्थ ‘रूह अफजा’ लोगों के बीच चर्चा में आ गया। लोग इसे लेकर बहुत सारी बातें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। आपको बता दें कि ‘रूह अफजा’ महज एक पेय नहीं है बल्कि इसके साथ एक, दो नहीं बल्कि तीन देशों का इतिहास जुड़ा हुआ है। लाल रंग का ये मीठा पेय हम में से बहुत लोगों के बचपन का अहम हिस्सा रहा है इसलिए ये केवल Drink नहीं बल्कि खूबसूरती, दोस्ती, समारोह का उदाहरण भी है।

सुप्रीम कोर्ट सभी कानूनी मामलों के समाधान के लिए अंतिम मंच है। पेचीदा मामलों की एक सतत धारा यहां आती है। ऐसा ही एक मामला चर्चित शरबत ‘रूह अफजा’ से जुड़ा है।

इस दौरान चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दोनों शर्बतों की बोतल को अपनी टेबल पर रख कर उनका बारीकी से मुआयना भी किया. हमदर्द फार्मेसी 1907 से रूह अफजा शरबत को बना और बेच रही है. सदर लैबोरेट्रीज़ नाम की कंपनी ने 2020 में शरबत दिल अफजा के नाम से मिलता-जुलता प्रोडक्ट बेचना शुरू कर दिया. सदर लैबोरेट्रीज ने कहा कि वो 1976 से दिल अफजा के नाम से दवाई बना रहा है. ऐसे में उसे इसी नाम से शरबत बनाने से नहीं रोका जा सकता है.

पिछले साल दिए फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट के 2 जजों की बेंच ने कहा कि हमदर्द रूह अफजा एक प्रतिष्ठित ब्रांड है. उससे बिल्कुल मिलते-जुलते नाम से उसी तरह का प्रोडक्ट बेचना ट्रेडमार्क से जुड़े नियमों का उल्लंघन है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सदर लैबोरेट्रीज़ को दिल अफजा शरबत का निर्माण और विक्रय तुरंत रोकने का आदेश दिया.

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