डॉक्टर ने बताया ब्लैक फंगस को कैसे करे खत्म, जानिए आसान तरीके…….

RANCHI: देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामले अब धीरे-धीरे कम होने लगे हैं। आंकड़ा अब तीन लाख के नीचे आ गया है। इस बीच तेजी से फैल रही ब्लैक फंगस की बीमारी ने भी काफी चिंताएं पैदा कर दी है। ब्लैक फंगस के संबंध में रिम्स के डॉ चंद्रभूषण ने सोमवार को विशेष बातचीत बताया कि ये इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है, जो कोरोना होने से पहले किसी दूसरी बीमारी (शुगर आदि) से ग्रस्त थे, या फिर जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। उन्होंने बताया कि इसके लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, आंख दर्द, नाक बंद या साइनस और देखने की क्षमता पर असर शामिल है।

उन्होंने ब्लैक फंगस की बीमारी कोरोना संक्रमण के समय ही क्यों हो रही है। साथ ही कोरोना से जुड़े अन्य जरूरी सवालों के जवाब भी दिये।

कोविड से रिकवर हुए काफी समय हो गया, लेकिन खांसी आ रही है तो क्या करें।
डॉ चंद्रभूषण कहते हैं कि ‘इस समय कई लोगों में पोस्ट कोविड में खांसी आ रही है। अगर बुखार या कोई और लक्षण नहीं है, तो परेशान न हों। कई लोगों को दो महीने तक खांसी आती है, लेकिन धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। अगर खांसी तेज है या बलगम के साथ ब्लड आ रहा है तो अपने डॉक्टर को दिखा सकते हैं।’

क्या नए वैरिएंट्स लोगों को दोबारा संक्रमित कर सकते हैं
उन्होंने कहा कि ‘इस बारे में कोई स्पष्ट धारणा नहीं है। कुछ शोधों के मुताबिक, जब तक एंटीबॉडीज रहती हैं, तब तक व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण दोबारा नहीं होता या कह सकते हैं कि उनमें लक्षण ही नहीं आते। यानी वायरस कमजोर हो जाता है, क्योंकि एंटीबॉडी उन्हें बचाती है। लेकिन शरीर में एंटीबॉडीज कितने दिन तक रहती हैं, इसके बारे में भी अलग-अलग रिसर्च हैं। कोई तीन महीने तक तो कई छह या आठ महीने तक कहते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि वायरस कितना भी रूप बदले या कोई भी वैरिएंट आए। उससे बचाव का उपाय कोविड नियमों का पालन ही करना है।

ब्लैक फंगस की बीमारी कोरोना संक्रमण के समय ही क्यों हो रही है
डॉ. चंद्र भूषण कहते हैं कि ‘ब्लैक फंगस हमारे वातावरण में पहले से मौजूद है, लेकिन इस वक्त कोविड काल में म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी की तरह लोगों में पाई जा रही है। इसकी वजह ये है कि कोविड के इलाज में, जो दवा दी जा रही है, जैसे डेक्सामेथासोन और दूसरे स्टेरॉयड जिनसे इम्यूनिटी कम होती है। खासतौर पर डायबिटीज वाले मरीजों में इसका ज्यादा असर होता है या फिर ऐसे लोग जिन्हें वेंटिलेटर पर रखते हैं, उनमें ये पाया गया है। इसलिए खुद से स्टेरॉयड या कोई भी दवा का प्रयोग ना करें। डॉक्टर की निगरानी में ही दवा लें।

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