सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें ये मांग की गई थी कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा कराया जाना चाहिए.
ये जनहित याचिका सीआर जया सुकिन नाम के एक एडवोकेट ने दायर की थी जिस पर जस्टिस जेके माहेश्वरी • और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की दो सदस्यीय वैकेशन बेंच ने विचार करने से इनकार कर दिया.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष जानना चाहा.
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ऐसे मामले सुनवाई के लिहाज से तर्कसंगत और न्यायोचित नहीं हैं.
Supreme Court declines the PIL seeking a direction that the new Parliament building should be inaugurated by President Droupadi Murmu on 28th May. https://t.co/Cu8Z35TRza
— ANI (@ANI) May 26, 2023
उन्होंने कहा, “याचिकाकर्ता को ये कहा जाना चाहिए कि वे सुप्रीम कोर्ट से पीआईएल वापस लेने के बाद किसी हाई कोर्ट में भी न जाएं.” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने ये जनहित याचिका दाखिल की थी. उन्होंने याचिका में कहा था, उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है. ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है.
याचिका में कहा गया था कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है. भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं. राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है. साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है.