रांची में चीफ जस्टिस रमन्ना ने कहा: मीडिया के ‘कंगारू कोर्ट’ खतरनाक पिछड़ रहा है लोकतंत्र.
रांची में ‘जस्टिस ऑफ ए जज’ का ‘जस्टिस एसबी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर’ दे रहे थे। उन्होंने न्यायपालिका की चुनौतियों और मीडिया के कार्य पर टिप्पणी करते हुए देश में न्यायपालिका के भविष्य के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि एक झूठा आख्यान बनाया गया है कि न्यायाधीशों का जीवन आसान होता है लेकिन वे जीवन की कई खुशियों, कभी-कभी महत्वपूर्ण पारिवारिक घटनाओं से चूक जाते हैं।
उन्होंने कहा, “हम देख रहे हैं कि मीडिया मनमानी अदालतें चला रहा है. लिहाजा कई बार तो अनुभवी जजों के लिए सही और गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है.”
जस्टिस रमन्ना ने कहा, “हो सकता है कि जज जल्दी प्रतिक्रिया न करें लेकिन इसे उनकी कमजोरी और लाचारी नहीं समझना चाहिए.”
Agenda-driven media running kangaroo courts, says Chief Justice Ramana
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— ANI Digital (@ani_digital) July 23, 2022
उन्होंने कहा, “मीडिया की ओर से फैलाए जा रहे पूर्वाग्रह भरे विचारों से लोग प्रभावित हो जाते हैं. ये हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इससे न्याय देने की प्रक्रिया गलत तरीके से प्रभावित हो रही है.”
जस्टिस रमन्ना ने कहा कि प्रिंट मीडिया में आज भी एक अकाउंटबिलिटी दिखती है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जीरो अकाउंटबिलिटी के आधार पर काम कर रहा है. कई मामलों में मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है. मीडिया ट्रायल किसी भी हाल में लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है.
चीफ जस्टिस शनिवार को रांची स्थित ज्यूडिशियल एकेडमी में जस्टिस एसबी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर में ‘लाइफ ऑफ जज’ विषय पर बोल रहे थे.